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Shri Rani Sati mata ji ki Aarti (श्री राणी सतीजी की आरती )

10:53

ॐ जय श्री राणी सती माता , मैया जय राणी सती माता ,
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ती ||
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा
दुर्जन दलन खडग की विद्युतसम प्रतिभा || 
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल , शोभा लखि न पडे,
ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश धरे || 
घंटा घनन घडावल बाजे , शंख मृदुग घूरे,
किन्नर गायन करते वेद ध्वनि उचरे ||
सप्त मात्रिका करे आरती , सुरगण ध्यान धरे,
विविध प्रकार के व्यजंन , श्रीफल भेट धरे ||
संकट विकट विदारनि , नाशनि हो कुमति, 
सेवक जन ह्रदय पटले , मृदूल करन सुमति,
अमल कमल दल लोचनी , मोचनी त्रय तापा || 
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी ,शरण गहुँ माता ||
या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता,
सदन सिद्ध नव निध फल , मनवांछित पावे ||

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