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2012 Dhanteras Pooja, Dhantrayodashi Pooja in hindi

13:47


11thNovember 2012(Sunday)

Pradosh Kaal Muhurta
Dhanteras Pooja Muhurta = 17:55:05 to 19:53:06
Duration = 1 Hour 58 Mins
Pradosh Kaal = 17:39:45 to 20:16:19
Vrishabha Kaal = 17:55:05 to 19:53:06

Lakshmi Pooja on Dhanteras or Dhantrayodashi should be done during Pradosh Kaal which starts after sunset and approximately lasts for 2 hours and 24 minutes. 

धनतेरस दीपावली से दो दिन पहले मनाई जाती है (Dhanteras Deepawali). जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं. देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें.

धन तेरस के दिन धनवंतरी नामक देवता अम्रत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे. देव धनवंतरी धन, स्वास्थय व आयु के देवता है. इन्हें देवों के वैध व चिकित्सक के रुप में भी जाना जाता है. यही कारण है कि धन तेरस का शुभ दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है.

धन तेरस के दिन चांदी खरीदना विशेष शुभ रहता है. धन तेरस के देवता को चन्दमा के समान माना गया है. इसलिये इनकी पूजा करने से मानसिक शान्ति, मन में संतोष भाव व स्वभाव में मृ्दुता का भाव आता है. जिन्हें अधिक से अधिक धन एकत्र करने की चाह होती है. उन्हें धनवंतरी देव की प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए.

धनतेरस में पूजा के लाभ - Dhanteras Puja
धनतेरस पर पूजा करने से व्यक्ति में संतोष, संतुष्ठी, स्वास्थय, सुख व धन कि प्राप्ति होती है. जिन व्यक्तियों के स्वास्थय में कमी तथा सेहत में खराबी की संभावनाएं बनी रहती है उन्हें विशेष रुप से इस शुभ दिन में पूजा आराधना करनी चाहिए.

धनतेरस में खरीदारी शुभ
लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.

इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.

धनतेरह कथा (Dhanteras Katha)

धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है. इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था. दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा. राज इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े. दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया.
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे. जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा. यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए. दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो. कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं.

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