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Bhai Dooj Katha

17:33

Bhaiyya Duj is the festival that is celebrated on the fifth day of Diwali and it falls on second day after Diwali that is on 'Shukla Paksha Dwitiya' in the Hindi month of 'Kartik'. 'Dwitiya' means 'Duj' or the second day after the new moon. This festival is popular in different regions with different names such as 'Bhai-Dooj' in north India, 'Bhav-Bij' in Maharashtra, 'Bhai-Phota' in Bengal and 'Bhai-Teeka' in Nepal. On this day sisters perform 'aarti' of their brothers and apply a beautiful 'Tilak' or 'Teeka' on their forehead. Then they offer sweets to them. Then the brothers and sisters exchange gifts with each other. Sisters are lavished with gifts, goodies and blessings from their brothers.


Bhaiyya Duj Katha

छाया भगवान सूर्यदेव की पत्नी हैं जिनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी. वह उनसे सदा यह निवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े. रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया. भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हर्षित हुई और भाई का स्वागत सत्कार किया. यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा. यमुना ने उनसे मांगा कि- आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे.
यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तथास्तु कहा और यमलोक चले गए. तभी से यह यह मान्यता चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता.

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