एक मुखी रूद्राक्ष
यह साक्षात शिव का स्वरूप हैं इसे धारण करने से
समस्त पापों व समस्याओं से छुटकारा मिलता है। एक मुखी रूद्राक्ष का
प्रतिदिन पूजन करने से या शरीर में धारण करने से आत्म-विश्वास व असीम ऊर्जा
की प्राप्ति होती है। लोगों के प्रति मन में कल्याणकरी भावना जाग्रत होती
हैं। एक मुखी रूद्राक्ष को शरीर में धारण करने से विभिन्न प्रकार की बाधाओं
से मुक्ति मिल जाती हैं जैसे हार्ट- अटैक भूत-प्रेत बाधा, आकस्मिक
विपत्तियाँ भय आदि। एक मुखी रूद्राक्ष को गले में लाल घागे में धारण करने
से सूर्य से जनित दोष भी शान्त हो जाते हैं।
मूल मन्त्र- 'ऊँ एं हं ऐं ऊँ।
धारण विधिः- तांबे के पात्र में एकमुखी रूद्राक्ष रखकर,उपरोक्त मन्त्र को पढ़ते हुये पहले गाय के कच्चे दूध में स्नान करायें,तत्पश्चात गंगा जल से स्नान कराये कर किसी शिव मन्दिर की भस्म अथवा चन्दन का तेल लगाकर एवं बिल्प पत्रों को चढ़ाकर ध्यान पूर्वक पूजन करें। ॐ त्रयाम्बकम सदाशिवाय नमः शिवाय (स्वाहा) मन्त्र से हवन करें। प्रत्येक आहूति देने के बाद एक मुखी रूद्राक्ष को हाथ में लेकर हवन कुण्ड के चारों ओर घुमाते हुये त्रयम्बक सदाशिव नमस्ते कर अपनी दोनों भावों के मध्य लगाये। इसके पश्चात उस रूद्राक्ष को चांदी में जड़वाकर कण्ठ में धारण करें।
मूल मन्त्र- 'ऊँ एं हं ऐं ऊँ।
धारण विधिः- तांबे के पात्र में एकमुखी रूद्राक्ष रखकर,उपरोक्त मन्त्र को पढ़ते हुये पहले गाय के कच्चे दूध में स्नान करायें,तत्पश्चात गंगा जल से स्नान कराये कर किसी शिव मन्दिर की भस्म अथवा चन्दन का तेल लगाकर एवं बिल्प पत्रों को चढ़ाकर ध्यान पूर्वक पूजन करें। ॐ त्रयाम्बकम सदाशिवाय नमः शिवाय (स्वाहा) मन्त्र से हवन करें। प्रत्येक आहूति देने के बाद एक मुखी रूद्राक्ष को हाथ में लेकर हवन कुण्ड के चारों ओर घुमाते हुये त्रयम्बक सदाशिव नमस्ते कर अपनी दोनों भावों के मध्य लगाये। इसके पश्चात उस रूद्राक्ष को चांदी में जड़वाकर कण्ठ में धारण करें।
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